शुक्रवार, 12 जनवरी 2018

बहुत सुंदर प्रसंग एक बार जरुर पढ़ें वृंदावन की महिमाThe glory of Vrindavan

किसी ने मुझ से पूछा वृन्दावन धाम कैसा है ।
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पागल मन बोला...
" अरे , बिल्कुल मत जाना । बड़ी मायावी नगरी है , एक बार गए तो सही सलामत वापिस नही आ पाओगे।" कहीं से भी ढोल , नगाड़े , मंजीरे बज उठते हैं और पांव नाचने को मजबूर हो जाते हैं ।
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"क्यों ? ऐसा क्या है उस नगरी में ?"
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माया की नगरी है , वहां का राजा जादूगर है और बहुत बड़ा लूटेरा भी । इधर कदम धरा , उधर सब लुट गया समझो। मनुष्य को बांवरा कर देता है। पागल से भी बदतर ।
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मैं बहुत समझदार हूँ , मैं ना आता उसकी बातों में।
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वो बात करेगा तभी तो समझदारी दिखाओगे। तुम्हारा काम तो उस काले कलूटे राजा की नगरी में पांव धरते ही हो जाएगा। सयाने लोगों को तो वो चुन चुन कर अपने पागलखाने में भर्ती करता है। जो जितना ज्ञानी उतना बड़ा उसका शिकार ।
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मै छुप कर जाऊंगा उस नगरी, फिर देखता हूँ कैसे पागल बनाता है।
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हाहाहा , भाई वहां का पत्ता पत्ता उस का गुप्तचर है ।
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हवाएं उसके इशारे पर चलती हैं ।
तुम उसकी सीमा में गये नही कि लूट जाओगे ।
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ऐसे कैसे लूट लेगा ?
सुना है , उसने गाय फैला रखी हैं गुप्तचर बना कर और उनकी आंखों में कैमरे हैं जो घुसते ही तुम्हारी फ़ोटो खींच उसे भेज देंगी । वो गाय ऐसा गोबर करती है कि उसकी खुशबू से मनुष्य के दिमाग पर असर होना शुरू हो जाता है।
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मैं सतर्क रहूँगा । मुंह ढक कर नाक बांध कर जाऊंगा ।
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भाई , किस किस से छुपेगा। उसके मायावी ग्वाल बाल बात बात में तुझपर जादू कर देंगे। उसका एक जादुई मंत्र है जो वहां हर वक्त हवा में तैरता रहता है "राधे ~ राधे ~ राधे"।
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ये मन्त्र सुना नही कि तू बेसुध हो जाएगा ।
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मैं कान में रुई डाल लूंगा ।
वहां की मिट्टी तो सबसे अधिक खतरनाक है इधर तुम्हारे पैर को छूई नही कि हो गया तुम्हारा काम, स्वयं चल कर सीधे राजा के दरबार में पहुंच जाओगे ।
ऐसा क्या ?? मैं अच्छे से जुराब जूते बांध कर जाऊंगा।
अरे भाई , वहां जा कर तो अपनी देह भी देह नही रहती । साफ इंकार कर देती है कि मैं तो इस काले राजा की हूँ तेरी ना मानूंगी । वहां के मनुष्य , पशु , पक्षी , पेड़ पौधे सब मायावी हैं ।
इतने मनमोहक हैं कि तुम नज़र ही ना हटा पाओगे और इधर सीधी नज़र मिली नही कि तुम तो गए ।
मेरे पास एक विदेशी चश्मा है जिसपर किसी प्रकार की किरणें काम नही करती ।
हाहा , चश्मा??
उस कलुए राजा ने एक वानर सेना इसी काम के लिए लगा रखी है। चश्मा कब उतार कर ले गए, तुम जान भी ना पाओगे।
चलो , कोई बात नही । अब जो होगा देखा जाएगा ।
यह बताओ वहां घूमने को कोई बाग है।
हैं , पर वो भी राजा की माया से बंधे है। वहां गोपियों को तुलसी वेश मे दिन भर रहना पड़ता है और रात में राजा उन सब के साथ नृत्य करता है।
रात का दृश्य तो देखने वाला होगा फिर ।
ना यह भूल मत करना । सुना है वहां जो रात रुक गया वो सही सलामत बाहर नही निकला ।
सन्त , शोधकर्ता सब की समाधियां हैं वहां ।
-- यह कैसा राजा है ??
-- बचपन से ही यह राजा ऐसा है , सुना है 5 दिन का था तो दूध पिलाने आई एक राक्षसी को मार डाला था ।
इतना शरारती कि खेल खेल में जहरीले नाग को मार डाला ।
यह तो बचपन से ही लुटेरा है , बेचारी ग्वालने अपने बच्चों को माखन नही देती थी ताकि राजा कंस का कर चुका सकें और यह छोरा उनका माखन लूट कर अपने साथियों को खिला देता था , ऐसा जादू करता था कि नंदगांव के छोरे अपने ही घर को लुटवाते थे।
बच्चे तो कच्चे होते हैं उनको तो कोई भी छका सकता है ।
वो तो बड़े से बड़े का मन लूट लेता है।
उसके काले स्वरूप से आंख मत मिला लेना । पता नहीं कया जादू है उन आंखों में कि मनुष्य बांवरा होकर सड़कों पर नाचने लगता है ।
खुद की सुध नही रहती, बस जी चाहता है कि उसी की नगरी में रम जाऊं और अगर परिजन तुम्हारी देह को वहां से ले भी आते हैं तो भी मन वापिस नही आता।
दिल में बैठ कर घर आ जाता है वो छलिया और फिर खूब नाच नचाता है।
पहले सारे परिजनों को दीवाना करता है फिर मित्रों को और फिर सारे नगर को । छूत के रोग की तरफ फैल जाता है और सबको लूट लेता है ।
कया सोच रहे हो जाऊं या नही ?
मेरा कर्तव्य था बताना, अब तुम्हारी मर्जी, पर जब भी जाओगे मुझे साथ ले लेना। उस छलिये ने मुझे भी लूट रखा है, सोच रहा हूँ बचा खुचा भी लुटा ही आऊं.

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