राधे राधे ॥ आज का भगवद चिन्तन ॥
14-08-2018
विद्वता के बाद यदि जीवन में विनम्रता न आए तो वह विद्वता कैसी.? विद्वता वही जो अहम और वहम से मुक्त करा कर सोऽहम में प्रतिष्ठित करा दे।
विनम्रता का स्थान विद्वता से भी कई गुना बढ़कर है। विनम्र व्यक्ति विद्वान न भी हो तो कोई बात नहीं मगर विद्वान व्यक्ति में विनम्रता अवश्यमेव होनी ही चाहिए।
विनम्रता विद्वता का आभूषण है। विनम्रता विहीन विद्वता व्यक्ति को रावण की तरह अहंकारी बना देती है, जो समय आने पर अपने ही संपूर्ण नाश का कारण बन जाती है। इस समाज द्वारा जितने भी महापुरुष वास्तविक रुप से पूजे गए वो विनम्रता के साथ वाली विद्वता के बल पर ही पूजे गए।
*विद्या ददाति विनयः* संपूर्ण विद्या का सार विनय ही है। जो व्यक्ति जीवन में विनम्रता को स्थान देना सीख जाता है, फिर विनम्रता उसको सबके दिलों में स्थान दिला देती है।
जय श्रीराधे कृष्णा
राष्ट्रीय भागवत कथा प्रवक्ता
प्रमोद कृष्ण शास्त्री जी महाराज
08737866555/9453316276
Radhe Radhe Today's Bhagavad Chintan
14-08-2018
If after the scholarship, if there is no humility in life then that scholarship? Scholarship is the one who frees itself from the importance and the importance of establishing it in Sohum.
The place of humility increases manifold more than scholarship. Humble people are not scholars, there is nothing to worry about, but humility should be immovable in a wise man.
Humility is scholarly jewelery. The wise person without humility makes the arrogant like Ravana, which, when the time comes, becomes the cause of its own complete destruction. All the great men, who were actually worshiped by this society, were worshiped only on the strength of scholarship with humility.
* Vidya Daddati Vinayah: * The essence of the entire school is modest. The person who learns to place humility in life, then the humility places him in the hearts of everyone.
Jai Shree Radhe-Krishna
National Bhagwat Tale Spokesperson
Pramod Krishna Shastri ji Maharaj
08737866555/9453316276
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