✍🏻यक्ष गीता में युधिष्ठर से यक्ष ने एक प्रश्न किया है कि दुनिया में सबसे कठिन क्या है ? धर्मराज ने बड़ा सुन्दर उत्तर दिया है कि सबसे कठिन है किसी भी कार्य को प्रारम्भ कर देना।
✍🏻शुरुआत करना ही सबसे कठिन है। आप दृढ संकल्प के साथ जब खड़े हो जाते है तो आधा कार्य तो समझिये तब हो जाता है। व्यक्ति बिचारता बहुत है। कार्य में तो ५% ऊर्जा ही लगती है, ९५% तो सोचने में और योजना करने में लग जाती है। कर्म करते समय पता चलेगा कि और क्या-क्या सुधार किया जा सकता है ?
✍🏻नये कार्य कीजिये लेकिन समय वद्धता अवश्य रखिये, कब तक कार्य को पूरा करना है। अन्यथा इतने कार्य अवशेष(पैंडिंग) हो जायेंगे कि कोई भी कार्य ढंग से नहीं हो पायेगा। क्रिया से आदमी उतना नहीं थकता जितना ये बिचार करके थक जाता है कि उसे क्या-क्या करना है।
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!!जिन्दगी मिली थी कुछ करने के लिए!
!!लोगों ने सोचने में ही गुजार दिया!!
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