मंगलवार, 6 फ़रवरी 2018

महाभारत का सुंदर प्रसंग जरूर पढ़ें

अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा  के पास द्रौपदी गई उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोली," पुत्री भविष्य में कभी तुम पर दुख,पीड़ा या घोर से घोर विपत्ति भी आए तो कभी अपने किसी नाते-रिश्तेदार की शरण में मत जाना। सीधे भगवान की शरण में जाना।"

उत्तरा हैरान होते हुए माता द्रौपदी को निहारते हुए बोली,"
आप ऐसा क्यों कह रही हैं माता?" द्रौपदी बोली,

" क्योंकि यह बात मेरे ऊपर भी बीत चुकी है।

जब मेरे पांचों पति कौरवों के साथ जुआ खेल रहे थे, तो अपना सर्वस्व हारने के बाद मुझे भी दांव पर लगाकर हार गए। फिर कौरव पुत्रों ने भरी सभा में मेरा बहुत अपमान किया।

मैंने सहायता के लिए अपने पतियों को पुकारा मगर वो सभी अपना सिर नीचे झुकाए बैठे थे। पितामह भीष्म, द्रोण धृतराष्ट्र सभी को मदद के लिए पुकारती रही मगर किसी ने भी मेरी तरफ नहीं देखा 
वह सभी आंखे झुकाए आंसू बहाते रहे।"
फिर द्रौपदी ने भगवान से कहा,"आपके वाय मेरा कोई भी नहं है।

भगवान तुरंत आए और द्रौपदी की रक्षा करी।
जब द्रौपदी पर ऐसी विपत्ति आ रही थी तो द्वारिका में श्री कृष्ण बहुत विचलित होते हैं ।
क्योंकि उनकी सबसे प्रिय भक्त पर संकट आन पड़ा था।

रूकमणि उनसे दुखी होने का कारण पूछती हैं तो वह बताते हैं मेरी सबसे बड़ी भक्त को भरी सभा में नग्न किया जा रहा है। 
रूकमणि बोलती हैं,"आप जाएं और उसकी मदद करें।"
श्री कृष्ण बोले," जब तक द्रोपदी मुझे पुकारेगी नहीं मैं कैसे
जा सकता हूं। 
एक बार वो मुझे पुकार लें तो मैं तुरंत उसके पास जाकर उसकी रक्षा करूंगा।

तुम्हें याद होगा जब पाण्डवों ने राजसूर्य यज्ञ करवाया तो शिशुपाल का वध करने के लिए" मैंने अपनी उंगली पर चक्र धारण किया तो उससे मेरी उंगली कट गई"।

उस समय "मेरी सभी 16 हजार 108 पत्नियां वहीं थी। कोई वैद्य को बुलाने भागी तो कोई औषधि लेने चली गई"!

मगर उस समय "मेरी इस भक्त ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ा और उसे मेरी उंगली पर बांध दिया ।आज उसी का ऋण मुझे चुकाना है लेकिन जब तक वो मुझे पुकारेगी नहीं मैं नहीं जाऊंगा।"
अत: द्रौपदी ने जैसे ही भगवान कृष्ण को पुकारा प्रभु तुरंत ही दौड़े चले गये। 

इस प्रसंग से आप समझ सकते है के भक्त जब भी सच्चे मन से प्रभु स्मरण करेंगे तो प्रभु अवश्य  सुनेंगे!!
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राष्ट्रीय भागवत कथा प्रवक्ता
 प्रमोद कृष्ण शास्त्री जी महाराज
 श्री धाम वृंदावन मथुरा उत्तर प्रदेश
ph 09453316276
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Abhimanyu's wife went to Draupadi near Uttarara and said, "Daughter, in the future, even if you face severe distress from suffering, pain or terrible, do not ever go to the shelter of any of your relatives. Go to the shelter of. "


Uttara surprised, while dancing towards Mother Draupadi, "

Why are you saying this to me? "Draupadi said,


"Because this thing has passed over me too.


When my five husbands were playing gambling with the Kurus, after losing all their worth, I too lost to my side. Then the Kaurava sons insulted me very much in the meeting.


I called my husbands for help, but they all bowed down their heads. Datta Bhishma, Drona Dhritarashtra kept calling everyone for help, but no one has seen me

He kept shedding all eyes and tears. "

Then Draupadi said to God, "Your age is none of mine.


God came immediately and saved Draupadi.

When such a calamity was occurring on Draupadi, Shri Krishna became very disturbed in Dwarka.

Because the worst devotee had suffered.


Rukmini asks him the reason for being unhappy, he explains that my greatest devotee is being nude in a crowded gathering.

Rukmini says, "You go and help him."

Sri Krishna says, "till Draupadi will not call me how I

I can go

Once he calls me, I will go to him immediately and protect him.


You will remember when the Pandavas offered the Rajasurya Yajna to kill the Shishu Pala, "When I put a wheel on my finger, my finger cut off from him".


At that time, "all my 16 thousand 108 wives were there. There was no one calling the doctor and then went to take some medicine"!


But at that time "my devotee torn the sack of his sari and tied it on my finger. Today I have to repay the debt of him but he will not call me till he will call me."

Therefore, Draupadi once called Lord Krishna, Lord Rama immediately ran away.


From this context you can understand that whenever the devotee remembers the Lord with a sincere heart, the Lord will surely listen !!

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National Bhagwat Tale Spokesperson

Pramod Krishna Shastri ji Maharaj

Shri Dham Vrindavan Mathura Uttar Pradesh

ph 09453316276

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