रविवार, 7 जनवरी 2018

Pramod Krishna Shastri

शान्तितुल्यं तपो नास्ति
         न संतोषात्परं सुखम्।
न तृष्णया: परो व्याधिर्न
           च धर्मो दया परा:।।
   शान्ति के समान कोई तप नही है, संतोष से श्रेष्ठ कोई सुख नही, तृष्णा से बढकर कोई रोग नही और दया से बढकर कोई धर्म नहीं।
 प्रमोद कृष्ण शास्त्री जी महाराज
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