मंगलवार, 5 जून 2018

लोग अपने स्वार्थ के लिए ना जाने क्या-क्या करते हैं। जिस किसी भी व्यक्ति को धोखा देते हैं। स्वार्थ में इतने अंधे हो जाते हैं, वे यह भी नहीं देखते कि सामने वाला व्यक्ति कितना ईमानदार है।
 यद्यपि किसी को भी धोखा देना अपराध है,  उसका दंड मिलता है। परंतु यह कर्म फल व्यवस्था ऐसी है कि यदि आप बेईमान को धोखा देंगे, तो जितना दंड मिलेगा; उससे अधिक दंड तब मिलेगा जब आप किसी ईमानदार को धोखा देंगे।
जैसे किसी जवान को पीटने पर लोग आपसे कम नाराज होंगे, उसकी तुलना में यदि आप किसी दो-तीन  साल के बच्चे को पीटते हैं, तो लोग आप से अधिक नाराज होंगे। ऐसा ही सब जगह समझना चाहिए।
 तो किसी के साथ भी धोखा ना करें, ईमानदारी से जीवन जिएं। तथा ईश्वर के न्यायालय में दंड के पात्र ना बनें। अच्छे काम करें और सदा सुखी रहें।

Զเधॆ- Զเधॆ

     "राष्ट्रीय भागवत कथा प्रवक्ता"
    प्रमोद कृष्ण शास्त्री जी महाराज 
            ( श्री धाम वृंदावन)
 08737866555 / 09453316276

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