आज बिरज में होली रे रसिया आज बिरज में होली है
इंतज़ार में सखी मैं बैठी हूँ
मेरे शाम पिया कब आएंगे
मन रंगा है उनके प्रेम में
होरी पे तन भी रंग जाएंगे
चहूँ ओर में शोर मचा है
गवाल बाल सब रंगे खड़े हैं
मेरे तन पर इक छींट डाल दो
तेरी राह में हम भी पड़े हैं
भौर भई तो जाग उठी मैं
द्वार की ओर भाग उठी मैं
रंग गुलाल चहूँ और पड़ा है
मेरा दिल अकेला खड़ा है
काश कहीं से तुम आ जाओ
चुपके से मेरी आँख दबाओ
पहचान लूँ तुमको क्षण में
राज दबाए रखूं यह मन मे
कौन कौन की रट लगाऊं
मन मे हरि हरि जप जाऊं
जिस पल तुम यह जान गए
मैने पहचान लिया मान गए
आंख छोड़ परे हो जाओगे
दूर से मुझ पर मुस्काओगे
झूठ जो तेरे समीप लाता है
सच से भी सच्चा कहलाता है
नयन मुंदे हैं नासिका खुली है
चंदन महक सब ओर घुली है
कटि बंधी बांसुरी कटि पहचाने
कंगन के नूपुर मोको लगे बताने
सांवरे की बलिष्ठ बुजा का जोर
पहचाने मेरे मन का चोर
अनियंत्रित से श्वास बता रहे
दौड़ कर तुम कहीं से आ रहे
तपते तेज़ बिखरे से श्वास
छू रहे कपोल बन कर आस
हर बिखरी श्वास बहकाये रही है
तन मन को महकाये रही है
ऐसे अद्भुत क्षण को कैसे खो दूं
क्यूं ना कुछ पल बेसुध हो लूँ
मैं बेसुध भी सुध में कहलाऊँ
छोड़ छोड़ दो कहती जाऊँ
छुड़वाने का जो प्रयास करूं
ओर जकड़ लोगे आस करूं
कर से टटोलूँ तुम्हारा चेहरा
हाथ में आये मोरपंख सेहरा
छोड़ मैं आगे बढ़ जाऊं
पगड़ी ढीली कुछ कर जाऊं
कान का कुंडल छूने के बहाने
कान खींच तोहे मज़ा चखाऊँ
कर टकराये वैजंती माला से
कोमल पुष्पों को और दबाऊं
फिर कोमल कपोल तुम्हारे छू
नयनों पे कर में ले जाऊं
मृग नयनों की लंबी पलकें छू
आनन्द सागर के गोते खाऊं
नासिका जो मुझे महकाये रही
झूलता उसका मोती छू लूँ
कमल पाँखुड़ी से अधखुले अधर
उंगलियों से छू ही रस पी लूँ
मदिरा से भरे दो कलशों से
अधरों को छू
हाय मैं बहक गई
श्याम श्याम मेरे श्याम श्याम
मदहोश पगली
है मैं कह गई
पहचान लिया
पहचान लिया
गोपालों ने शोर मचाया
खींच ले गए साजन को
बेसुध तन रोक ना पाया
ठगी रह गयी
लुटी पिट्टी सी
जड़ हो गई
मूरत मिट्टी की
उस पल को सखी कोसूं
बेसुधी में पी का नाम लिया
जिस नाम को श्वास श्वास जपूँ
उस नाम ने बंटाधार किया
रंगने को आतुर मन मेरा
रंगने से चूक गया तन मेरा
दर्पण से दर्द कहने गई
सूरत देख दंग रह गई
लाल गुलाबी केसरी पीला
हरा जामुनी सन्तरी नीला
इंद्रधनुष तन पे उतर आया
श्याम पिया मोहे खूब छकाया
किसी लोक की चाह नही
बस नयनों में बसा लो पिया
प्रभु ,प्रभु मोसे बोलो ना जाए
जिया कहे बस पिया पिया
होरी के रसिया पिया प्रीतम की जय हो ।।।
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