शनिवार, 3 मार्च 2018

आज बिरज में होली रे रसिया आज बिरज में होली है
 इंतज़ार में सखी मैं बैठी हूँ 
मेरे शाम पिया कब आएंगे
मन रंगा है उनके प्रेम में
होरी पे तन भी रंग जाएंगे 

चहूँ ओर में शोर मचा है
गवाल बाल सब रंगे खड़े हैं
मेरे तन पर इक छींट डाल दो
तेरी राह में हम भी पड़े हैं

भौर भई तो जाग उठी मैं
द्वार की ओर भाग उठी मैं
रंग गुलाल चहूँ और पड़ा है
मेरा दिल अकेला खड़ा है

काश कहीं से तुम आ जाओ
चुपके से मेरी आँख दबाओ 
पहचान लूँ तुमको क्षण में
राज दबाए रखूं यह मन मे

कौन कौन की रट लगाऊं
मन मे हरि हरि जप जाऊं
जिस पल तुम यह जान गए
मैने पहचान लिया मान गए

आंख छोड़ परे हो जाओगे 
दूर से मुझ पर मुस्काओगे
झूठ जो तेरे समीप लाता है
सच से भी सच्चा कहलाता है

नयन मुंदे हैं नासिका खुली है
चंदन महक सब ओर घुली है
कटि बंधी बांसुरी कटि पहचाने
कंगन के नूपुर मोको लगे बताने 

सांवरे की बलिष्ठ बुजा का जोर
पहचाने मेरे मन का चोर
अनियंत्रित से श्वास बता रहे 
दौड़ कर तुम कहीं से आ रहे 

तपते तेज़ बिखरे से श्वास
छू रहे कपोल बन कर आस 
हर बिखरी श्वास बहकाये रही है
तन मन को महकाये रही है

ऐसे अद्भुत क्षण को कैसे खो दूं
क्यूं ना कुछ पल बेसुध हो लूँ 

मैं बेसुध भी सुध में कहलाऊँ
छोड़ छोड़ दो कहती जाऊँ
छुड़वाने का जो प्रयास करूं 
ओर जकड़ लोगे आस करूं

कर से टटोलूँ तुम्हारा चेहरा
हाथ में आये मोरपंख सेहरा
छोड़ मैं आगे बढ़ जाऊं 
पगड़ी ढीली कुछ कर जाऊं

कान का कुंडल छूने के बहाने
कान खींच तोहे मज़ा चखाऊँ
कर टकराये वैजंती माला से
कोमल पुष्पों को और दबाऊं

फिर कोमल कपोल तुम्हारे छू
नयनों पे कर में ले जाऊं 
मृग नयनों की लंबी पलकें छू
आनन्द सागर के गोते खाऊं

नासिका जो मुझे महकाये रही 
झूलता उसका मोती छू लूँ 
कमल पाँखुड़ी से अधखुले अधर
उंगलियों से छू ही रस पी लूँ

मदिरा से भरे दो कलशों से
अधरों को छू 
हाय मैं बहक गई
श्याम श्याम मेरे श्याम श्याम 
मदहोश पगली 
है मैं कह गई 

पहचान लिया 
पहचान लिया
गोपालों ने शोर मचाया
खींच ले गए साजन को
बेसुध तन रोक ना पाया

ठगी रह गयी 
लुटी पिट्टी सी
जड़ हो गई
मूरत मिट्टी की

उस पल को सखी कोसूं
बेसुधी में पी का नाम लिया
जिस नाम को श्वास श्वास जपूँ
उस नाम ने बंटाधार किया 

रंगने को आतुर मन मेरा
रंगने से चूक गया तन मेरा
दर्पण से दर्द कहने गई
सूरत देख दंग रह गई

लाल गुलाबी केसरी पीला
हरा जामुनी सन्तरी नीला
इंद्रधनुष तन पे उतर आया
श्याम पिया मोहे खूब छकाया


किसी लोक की चाह नही 
बस नयनों में बसा लो पिया
प्रभु ,प्रभु  मोसे बोलो ना जाए
जिया कहे बस पिया पिया

होरी के रसिया पिया प्रीतम की जय हो ।।।

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