श्रीमद् भागवतम् स्कंद 3 अध्याय 24 श्लोक संख्या 13 तात्पर्य
जिस प्रकार मनुष्य शरीर से आत्मा को पृथक नहीं कर सकता उसी प्रकार शिष्य अपने जीवन से गुरु आज्ञा को दूर नहीं कर सकता। यदि शिष्य इस प्रकार से गुरु उपदेश का पालन करता है, तो वे अवश्य सिद्ध बनेगा ।उपनिषदों में इसकी पुष्टि हुई है- जो लोग श्री भगवान तथा गुरु में श्रद्धा रखते हैं उन्हें वैदिक शिक्षा स्वतः प्राप्त हो जाती है ।कोई भौतिक दृष्टि से भले ही अनपढ़ हो किंतु यदि उसे गुरु के साथ ही साथ पुरुषोत्तम भगवान पर उसकी श्रद्धा है ,तो उसके समक्ष शास्त्रों का ज्ञान तुरंत प्रकट हो जाता है।
राष्ट्रीय भागवत कथा प्रवक्ता
प्रमोद कृष्ण शास्त्री जी महाराज
08737866555
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